जागरण हाइटेक ने हेल्मेट इंडस्ट्री के दृष्टिकोण के बारे में और साथ ही कोविड 19 प्रभाव और नई हेल्मेट टेक्नोलॉजी के बारे में Sidhartha Bhushan Khurana, मैनेजिंग डायरेक्टर, STUDDS एक्सेसरीज लिमिटेड से एक्सक्लूजिव बातचीत की है।
प्रश्न: इस कोविड-19 के कठिन समय में हेल्मेट इंडस्ट्री आउटलुक को आप किस तरह देख रहे हैं?
उत्तर: कोविड-19 के बाद हेल्मेट इंडस्ट्री का आउटलुक थोड़ा बदल गया है। लोग अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल काफी कम करने लगे हैं। मोटरसाइकिल्स की बिक्री थोड़ी ज्यादा हो गई है। नई मोटरसाइकिल्स के अलावा सेकंड हैंड मोटरसाइकिल्स की भी बिक्री काफी ज्यादा देखी जा रही है। इन वजहों से हेल्मेट्स की बिक्री में बूस्ट मिला है। सरकार ने भी एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन निकाला है, जिसमें पहली मार्च 2021 से नॉन ISI हेल्मेट्स भारत में बनाना, बेचना और पहनना बैन हो जाएगा। उसके बाद सिर्फ ISI मार्क हेल्मेट ही बिक सकेगा। आज नॉन ISI हेल्मेट बाजार में 25-30 फीसद बेचा जा रहा है। पर, अब अगले वित्त वर्ष से इन बदलावों के साथ ISI हेल्मेट की बिक्री में और बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
प्रश्न: चीनी इंपोर्ट के साथ हेल्मेट्स के बिजनेस पर किस तरह का असर देखने को मिला है?
उत्तर: चीन कभी भी भारत के लिए हेल्मेट मार्केट में मुकाबले के लिए नहीं था। भारत में चीन के मुकाबले मजदूरी कम है। पिछले साल के अगर हम डेटा की बात करें तो 2.5 करोड़ की हेल्मेट मार्केट में करीब 50,000 हेल्मेट इंपोर्ट हुआ था। इसलिए चीन की हिस्सेदारी काफी कम है और पिछले 10 वर्षों में भारतीय हेल्मेट बाजार को ना प्रभावित कर पाया है और ना ही आगे कर पाएगा।
प्रश्न: Studds में आपकी क्या योजनाएं हैं और नई फैक्ट्री के साथ आप किस तरह तैयारियां कर रहे हैं?
उत्तर: Studds की हमारी दो फैक्ट्री शुरू हुई है, जिनमें एक हुई है साल 2019 में और दूसरी 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन के बाद हुई है। 2019 में जो फैक्ट्री शुरू हुई है वो हमारे लिए साइकिल हेल्मेट्स के लिए नई लाइन है, जिसे एक साल हो गया चलते हुए और ये फैक्ट्री मुख्य तौर पर निर्यात के लिए है। दूसरी फैक्ट्री मोटरसाइकिल हेल्मेट्स के लिए है और हमारे प्रोडक्शन की क्षमता दोगुनी हो गई है। पहले हम सालाना 70 लाख हेल्मेट्स बनाते थे और अब हमारी क्षमता 1 करोड़ 40 लाख हो गई है। हमने काफी विस्तार किया है और बाजार भी उसी हिसाब से बढ़ता जा रहा है। कोविड के बाद हमें एक चीज और देखने को मिल रही है कि काफी लोग चीनी सामानों को इस्तेमाल कम करते जा रहे हैं। काफी देशों से ऑर्डर्स इंडोनेशिया, वियतनाम और इंडिया आ रहे हैं जिसका हमें भी फायदा हो रहा है और आने वाले वर्षों में यह ट्रेंड देखने को मिलता रहेगा। हमने अपनी क्षमता बढ़ाई है और हमें लगता है कि अगले दो वर्षों में हम अपनी पूरी क्षमता को उपयोग करने लगेंगे। साइकिल हेल्मेट्स की जो क्षमता है वो 1.5 साल में पूरी उपयोग होने लगेगी। नए प्लांट्स में हमने करीब 200 करोड़ रुपये लगाया है और उम्मीद है कि आगे हेल्मेट बाजार बढ़ता जाएगा।
प्रश्न: सरकार के Make In India मुहिम को कंपनी किस तरह सपोर्ट कर रही है?
उत्तर: सरकार पहले ही इंडस्ट्री का काफी साथ दे रही है। आत्मनिर्भर बनने के लिए हमारी तरफ से जो हो सकता था हमने वो सब किया है। चीन से जो मैटेरियल इंपोर्ट होता था, पिछले 4 महीनों में आज वो पूरी तरह शून्य हो गया है। सब कुछ अब स्थानीय रूप से बनने लगा है। वैसे भी चीन से हमारा हमारा इंपोर्ट काफी कम यानी करीब 1-2 फीसद होता था, आज वो भी शून्य हो गया है। हमारे हिसाब से सरकार अपनी तरफ से पूरा काम कर रही है। सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर पर जितना काम हो सकता है वो बेहतर तरीके से कर रही है। दिल्ली से पोर्ट पर गाड़ी जाने में 7 दिन करीब लगते हैं, अगर यह 4 दिन पर आ जाता है तो हमें निर्यात बाजार में काफी फायदा हो सकता है। निर्यात बाजार के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत जरूरी है, जिसका सरकार काम कर रही है। हमें उम्मीद है कि 2-3 साल में काफी सुधार देखने को मिलेगा।
प्रश्न: हेल्मेंट्स पर नए सेफ्टी BIS मानक क्या हैं और किन टेक्नोलॉजी पर आप काम कर रहे हैं?
उत्तर: BIS की फुल फॉर्म ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड है। ये काफी पुराना संगठन है, जिसे ISI नाम से जाना जाता है। ISI का हेल्मेट के लिए जो मानक है उसका नाम IS-4151 है। IS-4151 नया आ चुका है और लागू भी हो गया है। सितंबर में इसमें एक छोटा सा संशोधन आ रहा है, जिसमें हेल्मेट के वजन की लिमिट को हटा दिया गया है। पहले तय किया गया था कि हेल्मेट का वजन 1200 ग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए और अब इसे हटाया जा रहा है। हाई स्पीड राइडिंग और ड्राइविंग के लिए भारत में हेल्मेट्स नहीं मिलते। उत्साही राइडर और ड्राइवर अगर 1200 ग्राम से नीचे वाले वजन का हेल्मेट पहनते हैं तो उनके लिए काफी नुकसान देय है। आज जो यूरोपियन स्टैंडर्ड और अमेरिकन स्टैंडर्ड के हेल्मेट्स हैं वो सब 1500 ग्राम के आसपास हैं। अब इस वजन के लिमिट के हटने से दुनियाभर में जितने भी हेल्मेट्स हैं वो सब भारत में उपलब्ध होंगे और जो मानकों में बदलाव आए हैं इसके चलते टू-व्हीलर राइडर के हेल्मेट हल्के हो गए हैं। इन मानकों को आए हुए करीब डेढ़ साल हो गए हैं और उससे पहले जो हेल्मेट का औसतन वजन था और जो आज है उसमें 200 ग्राम कम हुआ है। यह नॉर्मल राइडर के लिए काफी अच्छा है क्योंकि उसे हेल्मेट में वजन नहीं चाहिए होता है।
अब अगर टेक्नोलॉजी की बात करें तो दो जगह टेक्नोलॉजी पर काम हो रहा है। हर कंपनी के पास हेल्मेट में ब्लूटूथ है। अब हेल्मेट में कैमरा के ऊपर काम हो रहा है। इसके अलावा एक नई बोन कंडक्शन टेक्नोलॉजी पर काम हो रहा है। उसपर काम हो रहा है, जिसमें स्पीकर से आवाज नहीं आती है उसमें वाइब्रेशन होता है। इसमें आपका ब्रेन वाइब्रेशन को ऑडिबल सिग्नल्स में कन्वर्ट करता है। ये टेक्नोलॉजी मिलिट्री से ली गई है क्योंकि जब गोलियां चलती है तो फ्रंट पर हमारे सैनिक होते हैं, वो बात नहीं कर पाते हैं एक दूसरे से। तो उस समय जब बोलते हैं तो दूसरे आदमी के पास वाइब्रेशन जाती है। ऐसे में जितनी भी तेजी से गोलियां चल रही हो, वो फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनका ब्रेन कन्वर्ट कर देता है। यही टेक्नोलॉजी अब हेल्मेट्स में भी आ रही हैं। इसके अलावा स्मार्ट हेल्मेट में एक फॉल डिटेक्शन टेक्नोलॉजी भी आ रहा है जिसमें अगर आप गिरते हैं तो आपके घर वालों को SMS चला जाता है। इसी तरह से ऐसी कई टेक्नोलॉजी हमें आगे देखने को मिलती रहेंगी।