Guru Purnima 2025 : क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा? जानें पौराणिक कथा और रचनाएं

Publish Date: 10 Jul, 2025
Pinterest Guru Purnima 2025 : क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा? जानें पौराणिक कथा और रचनाएं
Guru Purnima 2025 : आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस साल आज यानी 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है। गुरु का स्थान माता-पिता से बड़ा बताया गया है क्योंकि गुरु हमें शिक्षा के साथ-साथ वो काबिलियत देता है जिससे हम बेहतर इंसान बन सकें और अपनी प्रतिभाओं को दुनिया के सामने प्रदर्शित कर सकें। कहा जाता है कि गुरु के बिना भगावान को भी नहीं पा सकते। भारतीय संस्कृति में तो गुरु-शिष्य परंपरा और गुरु की महिमा के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है और इसके पीछे की पौराणिक कथा।

क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?

गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास को समर्पित है। यह दिन महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें हिंदू धर्म में प्रथम गुरु माना जाता है। महर्षि वेदव्यास की माता सत्यवती और पिता ऋषि पराशर थे। महर्षि वेदव्यास को भगवान विष्णु के अंश माना जाता है। कहा जाता है कि महर्षि को अध्यात्म में विशेष रुचि थी। वह बचपन से ही प्रभु दर्शन की इच्छा रखते थे और वन में जाकर तपस्या करना चाहते थे। परंतु उनकी माता ने उन्हें वन में जाने से मना कर दिया। परंतु उन्हें हठ करके अपनी माता को मना लिया। उनकी माता ने महर्षि को आज्ञा तो दे दी परंतु साथ में कहा कि यदि उन्हें घर की याद आए तो वह घर वापस आ जाएं।

महर्षि वेदव्यास ने वन में की तपस्या

माता की बात सुनकर महर्षि वेदव्यास वन की तरफ चले गए। जहां उन्होंने दिन-रात कठोर तपस्या की। इस तपस्या के बाद उन्हें संस्कृत भाषा में प्रवीणता प्राप्त हुई। इस दिन महर्षि की विशेष पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है इसलिए वह आज भी मनुष्यों के बीच उपस्थित हैं। मान्यता है कि महर्षि वेदव्यास की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है और भविष्य उज्जवल होता है। 

महर्षि वेदव्यास की रचनाएं

महर्षि वेदव्यास को संस्कृत में प्रवीणता प्राप्त थी। उन्होंने महाभारत कथा, अठारह महापुराणों और ब्रह्मास्त्र की रचना की थी साथ ही आज भी वेदों का ज्ञान लेने से पहले महर्षि वेदव्यास का नाम सबसे पहले लिया जाता है। उन्हें प्रथम गुरु के रूप में जाना जाता है और पूजा की जाती है। इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
 
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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