Guru Ravidas Jayanti 2024: जीवन के अंधकार को दूर करते हैं संत रविदास जी के ये दोहे

Publish Date: 20 Feb, 2024
Guru Ravidas Jayanti 2024: जीवन के अंधकार को दूर करते हैं संत रविदास जी के ये दोहे

Guru Ravidas Jayanti 2024: गुरु रविदास संत, कवि और समाज सुधारक थे। संत रविदास ने समाज में फैली बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाई। माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस साल 24 फरवरी के दिन उनकी जयंती मनाई जाएगी। रविदास जी भक्तिकालीन संत थे। संत रविदास के अनुयायी उनके जन्मदिवस पर एकत्रित होकर उनके दिखाए मार्ग पर चलने का प्रण लेते हैं। वह सभी को प्रेम और एकता का संदेश देते हैं। आइए देखते हैं उनके द्वारा कहे गए दोहे जो आज के समय भी महत्वपूर्ण हैं और सभी को बिना भेदभाव के एक साथ चलने की सीख देते हैं। 

कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा

ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,
पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।

का मथुरा का द्वारका, का काशी हरिद्वार।
रैदास खोजा दिल आपना, तउ मिलिया दिलदार

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,
नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।

जन्म जात मत पूछिए, का जात और पात।
रैदास पूत सम प्रभु के कोई नहिं जात-कुजात।।

करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास

ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सबन को अन्न।
छोट बड़ो सब सम बसे रविदास रहे प्रसन्न।।

जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,
रैदास मनुष ना जुड़ सके, जब तक जाति न जात।

करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस,
कर्म मानुष का धर्म है, संत भाखै रविदास।

संत रविदास के अनमोल वचन 

मन ही पूजा मन ही धूप, मन ही सेऊँ सहज सरूप

मन चंगा तो कठौती में गंगा।

मोह-माया में फंसा जीव भटकता रहता है, जबकि इस माया को बनाने वाला ही मुक्तिदाता है।

हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और साथ-साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।

भगवान उस ह्रदय में वास करते हैं जिसके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है।

जीव को यह भ्रम है कि यह संसार ही सत्य है किंतु जैसा वह समझ रहा है वैसा नहीं है, वास्तव में संसार असत्य है।

कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें। एक छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है, लेकिन एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता।

कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं, बल्कि अपने कर्म के कारण होता है. व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊंचा या नीचा बनाते हैं।

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