Publish Date: 30 Jun, 2025
Author: Anjum Qureshi
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Jagannath Rath Yatra 2025 : भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर अपनी रथ यात्रा के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस साल इस यात्रा की शुरुआत 27 जून से हुई है वहीं इसका समापन 5 जुलाई को होगा। इस यात्रा में देशभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है और इस भव्य यात्रा का हिस्सा बनते हैं। इस यात्रा में तीन रथों को खींचा जता है। एक रथ में भगवान जगन्नाथ, दूसरे में बलभद्र और तीसरे रथ में सुभद्रा विराजमान होती हैं। इन रथों को खींचना बहुत शुभ माना जाता है। यहां आए लाखों श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद की व्यवस्था की जाती है। इस महाप्रसाद को छप्पन भोग के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। जिस प्रकार की भव्य यह यात्रा होती है उसी शानदार तरीके से यह महाप्रसाद भी बनाया जाता है। आइए जानते हैं इस महाप्रसाद के बनाने का तरीका।
मिट्टी के बर्तन का प्रयोग - भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद को बनाने के लिए खास प्रकार के मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है। इन बर्तनों में महाप्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद को बनाने के लिए किसी भी प्रकार के धातु के बर्तन इस्तेमाल में नहीं लाए जाते।
लकड़ियों का प्रयोग - जगन्नाथ रथ यात्रा में प्रसाद बनाने के लिए किसी भी गैस या इलेक्ट्रोनिक उपकरण का प्रयोग नहीं किया जाता है। महाप्रसाद तैयार करने के लिए प्राचीन तरीका अपनाया जाता है। लकड़ियों को जलाकर उसपर प्रसाद बनाया जाता है।
दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर - भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद तैयार करने के लिए जिस रसोईघर का प्रयोग किया जाता है वह दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर माना जाता है। यह रसोईघर काफी बड़ा है जिसमें लाखों भक्तों के लिए प्रयाद की व्यवस्था की जाती है।
साफ-सफाई का इंतजाम - यह रसोईघर इतना बड़ा है कि इसमें महीनों पहले साफ-सफाई का कार्य शुरु कर दिया जाता है और प्रसाद को भी साफ-सफाई के साथ ही तैयार किया जाता है।
500 रसोइए बनाते हैं प्रसाद - जगन्नाथ रथ यात्रा पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां लगभग 2,00,000 श्रद्धालुओं आते हैं और इस भव्य यात्रा के साथ जुड़ते हैं। इन श्रद्धालुओं के लिए 500 रसोइए और करीब 300 सहयोगी मिलकर प्रसाद बनाते हैं। जिसको बड़े रसोईघर में तैयार किया जाता है।
मोक्ष की प्राप्ति - जगन्नाथ रथ यात्रा के महाप्रसाद को ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। इस महाप्रसाद को ग्रहण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
56 भोग - इस महाप्रसाद को 56 भोग के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य प्रसाद के रुप में यह चावल की खिचड़ी की तरह होती है। जो भक्तों को बांटी जाती है।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।