Publish Date: 11 Jul, 2025
Author: Anjum Qureshi
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Kawad Yatra 2025 Date : सावन का महीना महादेव का प्रिय महीना होता है। इस महीने के सोमवार भी बहुत खास होते हैं। इस पूरे महीने भगवान शिव की पूजा की जाती है और पवित्र कांवड़ यात्रा भी इसी महीने शुरु होती है। भोलेनाथ के भक्त देश के अलग-अलग स्थानों से पैलद ही हरिद्वार और गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थान पर जाकर पवित्र नदियों का जल कांवड़ में भरते हैं और उस जल से भगवान शंकर का अभिषेक करते हैं। कांवड़ा यात्रा बहुत मुश्किल होती है क्योंकि भोलेनाथ के भक्त इस यात्रा में नंगे पांव ही चलते हैं साथ ही कंधे पर कांवड़ को रखते हैं। कांवड़ को जमीन पर रखना भी वर्जित होता है। कांवड़ लाने के लिए कड़े नियमों का पालन करना होता है। भोलेनाथ के भक्तों के लिए इसका बहुत महत्व होता है। आइए जानते हैं कब से शुरु हो रही है कांवड़ यात्रा इसके नियम और महत्व।
कब से शुरु है कांवड़ यात्रा?
- कावड़ यात्रा की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से ही शुरू हो जाएगी।
- 9 अगस्त 2025 को भोेलेनाथ के भक्त कांवड़ लेकर निकलेंगे।
- भोलेनाथ को जल 23 जुलाई 2025 बुधवार के दिन चढ़ाया जाएगा।
- भगवान शिव की पूजा निशिता काल में होती है।
- निशिता काल की पूजा- रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट से।
- इस समय पूजा के लिए 41 मिनट का समय मिलेगा।
- शिव पूजन और जलाभिषेक के लिए सबसे शुभ माना गया है।
कांवड़ यात्रा के नियम
कांवड़ यात्रा पवित्र धार्मिक यात्रा होती है साथ ही यह काफी मुश्किल होती है। इस यात्रा के कुछ नियम होते हैं। इन नियम का पालन हर कांवड़ यात्री को करना होता है। कांवड़ यात्रा के दौरान नशे का प्रयोग नहीं करना चाहिए। शराब, पान, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। कांवड़ में पवित्र नदियों का जल भरा जाता है। इसलिए इसे जमीन पर नहीं रख सकते। कांवड़ को हमेशा कंधे पर रखकर चलना होता है। नित्यक्रियाओं के बाद स्नान के बाद ही कांवड़ को छुना चाहिए और इस दौरान कांवड़ को भी किसी ऊंचे स्थान पर रखना चाहिए। कांवड़ को सोने या आराम करने के लिए बिस्तर पर नहीं रखना चाहिए। कांवड़ को किसी के ऊपर से नहीं ले जाना चाहिए वहीं कांवड़ को सिर के ऊपर भी नहीं रखना चाहिए। कांवड़ यात्रा के दौरान चमड़ा स्पर्श नहीं करना चाहिए।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।