Lord Shiva Children: भगवान शिव के 7 पुत्रों के बारे में कितना जानते हैं आप?

Publish Date: 19 Jul, 2023
Lord Shiva Children: भगवान शिव के 7 पुत्रों के बारे में कितना जानते हैं आप?

Lord Shiva Children: गणेश जी और भगवान कार्तिकेय के बारे में सभी जानते हैं कि यह भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव के गणेश जी और भगवान कार्तिकेय के अलावा भी 5 पुत्र हैं। आइए जानते हैं भगवान भोलेनाथ के इन पुत्रों के बारे में।

भगवान कार्तिकेय

भगवान कार्तिकेय भोलेनाथ और माता पार्वती की प्रथम संतान हैं। शिवपुराण में वर्णन मिलता है कि पृथ्वी पर राक्षस तारकासुर का अत्याचार बढ़ता देख सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए और तारकासुर के अत्याचारोें से मुक्ति दिलाने को कहा। ब्रह्मा जी ने देवताओं से कहा कि भगवान शिव और माता पार्वती का पुत्र ही तारकासुर का अंत करेगा। माता पार्वती का विवाह भगवान शिव से हुआ और उनके प्रथम पुत्र के रुप में भगवान कार्तिकेय ने जन्म लिया। भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिलनाडु में भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। 

भगवान गणेश 

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने चंदन के मिश्रण से एक बालक की उत्पत्ति की थी क्योंकि माता पार्वती को स्नान करने जाना था और पहरा देने के लिए कोई नहीं था। लेकिन भगवान शिव ने क्रोधित होकर उस बालक का मस्तक काट दिया और लेकिन माता पार्वती ने जब बालक गणेश का धड़ देखा तो वह बहुत क्रोधित हुईं। इसके बाद भगवान शिव ने एक हाथी का सिर बालक के धड़ से जोड़ दिया। किसी भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण किया जाता है और उनकी पूजा होती है। 

सुकेश

सुकेश को भगवान शिव और माता पार्वती पुत्र के रूप में जाना जाता है। सुकेश को जन्म संदकंटका ने दिया था लेकिन जन्म के बाद संदकंटका ने सुकेश को त्याग दिया। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती ने सुकेश की रक्षा की और उसका पालन किया।

अयप्पा

पुराणों में वर्णित है कि भगवान विष्णु के मोहिनी और भगवान शिव के मिलन से अयप्पा का जन्म हुआ। अयप्पा भगवान शिव के चौथे पुत्र हैं। 

जालंधर

भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र समुद्र में फेंक दिया था जिससे कि जालंधर की उत्पत्ति हुई। इस बात का उल्लेख भागवत पुराण में मिलता है। जालंधर माता पार्वती को पत्नी बनाना चाहता था। इस पर माता पार्वती बहुत क्रोधित हुईं। भगवान शिव ने जालंधर से युद्ध शुरू किया और जालंधर का इस युद्ध में वध कर दिया। 

भौमा 

भौमा को भी भगवान शिव का पुत्र माना जाता है। भौम की चार भुजाएं थीं। कहा जाता है कि भगवान शिव का पसीना धरती पर गिरा और उसी पसीने से भौमा की उत्पत्ति हुई। भौमा का पालन-पोषण पृथ्वी ने किया था। पृथ्वी के पुत्र होने की वजह से भगवान शिव के इस पुत्र का नाम भौमा पड़ा। इस कथा का वर्णन पुराणों में मिलता है। 

अंधक

पुराणों में वर्णन मिलता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव की आंखे बंद कर दी थी। इस कारण सारी सृष्टि में अंधकार छा गया तो भगवान शिव ने इस अंधकार को दूर करने के लिए अपना तीसरा नेत्र खोल लिया। उस तीसरे नेत्र के प्रकाश से माता पार्वती को पसीना आ गया और उसी पसीने की बूंदों से अंधक का जन्म हुआ। यह पुत्र जन्म से ही अंधा था अंधेरे में जन्म लेने के कारण ही बालक का नाम अंधक पड़ा।

डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट की मदद से ली गई है।

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