लखनऊ(यूपी): प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज संसदीय सीट के इटौंजा के दो दर्जन गांवों में बारिश के दिनों में गोमती नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण बाढ़ आने से जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है जिसके चलते ग्रामीणों का बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है.. बाढ़ की इसी समस्या को लेकर इटौंजा के इकड़रिया कला गांव में दैनिक जागरण की ओर से चुनावी चौपाल आयोजन किया गया । आइए सुनते हैं कि ग्रामीणों ने बाढ़ के अलावा और मुद्दों पर क्या कहा.
वैसे तो बारिश के दिनों में मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र के इटौंजा में गोमती नदी का जलस्तर बढ़ने से सैकड़ों बीघा खेतों में खड़ी फसल जलमग्न हो जाती है। खेत महासागर में तब्दील हो जाते हैं। उसमें नावें चलती हैं। ग्रामीण अपने घरों की छत पर दो से तीन महीने तक समय बिताने को मजबूर हो जाते हैं। गांवों के स्कूल भी बाढ़ के कारण बंद हो जाते हैं। मवेशियों के आगे चारे का संकट खड़ा हो जाता है। कई संक्रामक बीमारियों की चपेट में मवेशी ही नहीं स्थानीय ग्रामीण भी आ जाते हैं।
वर्ष 2000 से 2008 तक इटौंजा के इन गांवों से पलायन भी तेजी हुआ। लासा सहित कई गांवों में लोग अपनी बेटियों की शादी करने से अब भी कतराते हैं। वर्ष 2008 में बाढ़ इतनी भयावह थी कि ग्रामीणों ने अपने घरों से बाहर बाढ़ के पानी में दीया जलाकर दीपावली मनायी थी। वर्षों से सांसदों से लेकर विधायकों तक को ग्रामीणों ने इस विकराल समस्या का स्थायी हल निकालने की अपील की। लेकिन आज तक प्रदेश की राजधानी लखनऊ होने के बावजूद मोहनलालगंज संसदीय सीट के इन गांवों को बाढ़ से बचाने के लिए ठोस योजना ही नहीं बनी। इटौंजा, उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले का एक नगर और पंचायत है।
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