Publish Date: 19 Jan, 2025
Author: Anjum Qureshi
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Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti 2025: नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है। उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य और प्रेरणादायक है। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में प्रभावती दत्त बोस और जानकीनाथ बोस के घर हुआ था और वे चौदह बच्चों में नौवें बच्चे थे। उनके विचार, दृढ़ता, और नेतृत्व के गुण उन्हें भारत के इतिहास में एक अनमोल स्थान देते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचार और बलिदान हमें सच्चे राष्ट्रभक्त बनने की प्रेरणा देते हैं। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक स्वर्णिम अध्याय है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रारंभिक पढ़ाई कटक के कॉलेजिएट स्कूल में हुई। तत्पश्चात उनकी शिक्षा कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज में हुई। इसके बाद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईसीएस) की परीक्षा पास की, लेकिन अंग्रेजों के अधीन काम करने के बजाय स्वतंत्रता संग्राम में कूदने का निर्णय लिया। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और अपने प्रखर विचारों के कारण जल्द ही लोकप्रिय हो गए।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नारा
स्वतंत्रता संग्राम के लिए नेताजी ने नारा दिया ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ यह नारा हजारों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बना। उन्होंने आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) का गठन किया और भारत की आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष का मार्ग अपनाया। उनकी दृढ़ता और बलिदान ने भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के प्रति समर्पित किया। इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें उनके विचारों और आदर्शों को याद किया जाता है। नेताजी का जीवन हमें सिखाता है कि देश के लिए समर्पण, दृढ़ता और आत्मनिर्भरता से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और कांग्रेस
सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व को सम्मान दिया। परंतु उनकी अहिंसात्मक नीति से असहमति के कारण वे कांग्रेस से अलग हो गए। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का फॉरवर्ड ब्लॉक एक राजनीतिक दल है जिसका गठन 3 मई 1939 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उत्तर प्रदेश के मकरौर उन्नाव में किया था। 29 अप्रैल को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। नेताजी का रहस्यमय ढंग से 18 अगस्त 1945 को गायब हो जाना आज भी एक विवादित और शोध का विषय बना हुआ है। लेकिन उनकी विचारधारा और देशभक्ति आज भी हर भारतीय को प्रेरणा देती है।