Sawan Shivratri 2025: इस दिन मनाई जाएगी सावन की शिवरात्रि, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Publish Date: 17 Jul, 2025
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Sawan Shivratri 2025 : सावन का महीना बहुत खास और पवित्र माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। सावन के सोमवार भी बहुत खास माने जाते हैं। इस दिन व्रत रखा जाता है और विधिपूर्वक शंकर-पार्वती की पूजा की जाती है। इस माह पवित्र कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। सावन की शिवरात्रि का भी बहुत महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती ने साथ में ब्रह्मांडीय नृत्य शांत तांडव किया था। इसलिए यह दिन मां पार्वती और महादेव की पूजा के लिए खास होता है। पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा अर्पित किया जाता है। आइए जानते हैं सावन की शिवरात्रि की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

सावन शिवरात्रि की तिथि

  • सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाएगी।
  • चतुर्दशी तिथि की शुरुआत- 23 जुलाई, बुधवार सुबह 4 बजकर 39 मिनट से होगा। 
  • चतुर्दशी तिथि का समापन- 24 जुलाई, गुरुवार सुबह 5 बजकर 38 मिनट पर होगा।
  • सावन शिवरात्रि का व्रत 23 जुलाई बुधवार को रखा जाएगा।

सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

  • निशिता मुहूर्त- रात 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
  • पूजा की कुल अवधि- 41 मिनट की होगी। 
  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 15 मिनट से सुबह 4 बजकर 56 मिनट तक है। 
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से दोपहर 3 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। 
  • गोधुली मुहूर्त- शाम 7 बजकर 17 मिनट से शाम 7 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। 
  • संध्या काल- शाम 7 बजकर 17 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। 
  • अमृत काल- सुबह 8 बजकर 32 मिनट से सुबह 10 बजकर 2 मिनट तक रहने वाला है।

शिव पूजा की विधि

  • सावन शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। 
  • स्नान करें स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • इसके बाद व्रत का संकल्प लें। 
  • घर और मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें। 
  • गंगाजल का छिड़काव करें।
  • मां पार्वती और भगवान शिव की आराधना करें। 
  • शिवलिंग पर अभिषेक करें। 
  • गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर यानी पंचामृत से अभिषेक करें। 
  • भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, चंदन और फल अर्पित करें। 
  • धूप और दीप जलाएं। 
  • मंत्रों का जाप करते रहें। 
  • अंत में आरती करें।

डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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