Somvati amavasya 2020: आज यानि (14 दिसंबर) को सोमवती अमावस्या है। यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या (दर्श अमावस्या, मार्गशीर्ष अमावस्या) भी कहा जाता है। आज सभी माताओं ने अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा है। हिन्दू धर्म के मुताबिक, अमावस्या के दिन लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य और पिंडदान करते हैं। इस बार सोमवती अमावस्या को विशेष योग बन रहा है। चलिए जानते हैं इसके बारे में और सोमवती अमावस्या की पूजा विधि साथ ही इसका महत्व…
अमावस्या तिथि का प्रारम्भ : 13 दिसंबर 2020 को रात 12:44 AM से
अमावस्या तिथि की समाप्ति : 14 दिसंबर 2020 को रात 09:46 PM तक (दृकपंचांग के मुताबिक)
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहने।
- इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव की पूजा करें।
- फिर पीपल के पेड़ की पूजा करें, आज के दिन इसको बहुत शुभ माना जाता है।
- इसके बाद दान-दक्षिणा जरूर करें।
इस सोमवती अमावस्या पर पंचग्रही योग बन रहा है। सनातन धर्म में इस अमावस्या को बड़ी महिमा कहा गया है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, सोमवती अमावस्या के दिन माताएं संतान और जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। व्रत को दौरान महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं। पीपल के पेड़ के मूल भाग में भगवान विष्णु, अग्रभाग में ब्रह्मा और तने में भगवान शिव का वास होता है ऐसा माना जाता है। इसी वजह से सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान शनि के मंत्रों का जाप करें। इस दिन पितरों का पिंडदान और बाकि दान-पुण्य संबंधी कार्यों का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा सोमवती अमावस्या के दिन दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है।
साल 2020 खत्म होने वाला है और आज (14 दिसंबर) को इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण लगना खगोलीए घटना होती है। जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं और चंद्रमा की छाया सूर्य को ढक देता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण अक्सर अमावस्या के दिन पड़ता है। इसी वजह से ग्रहण के दिन सोमवती अमावस्या भी रहेगी। ज्योतिष में भी ग्रहण के दिन को एक महत्वूर्ण घटना माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, हिंद महासागर और अंटार्कटिका में पूर्ण रूप से दिखेगा। India के समय के मुताबिक ये ग्रहण शाम को 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात के 12 बजकर 23 मिनट पर खत्म होगा। इस सूर्य ग्रहण की अवधि लगभग 5 घंटे की होगी।
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