Publish Date: 12 Jul, 2025
Author: Anjum Qureshi
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Sawan and Kawad Yatra: श्रावण मास या सावन मास भगवान शिव की पूजा के लिए जाना जाता है। यह महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है। सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो जाएगी और इसी दिन से कांवड़ यात्रा का भी आरंभ होगा। सावन महीने में ही कांवड़ यात्रा निकाली जाती हैं। श्रावण मास और कांवड़ यात्रा गहरा संबहध है। य न केवन धार्मिक बल्कि भक्ति, तपस्या और आत्मिक शुद्धि के लिए बेहद जरुरी है। इस महीने में सच्चे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकमनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि आती है।
सावन और कांवड़ यात्रा में संबंध
भगवान शिव ने सृष्टि को रक्षा के लिए समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक विष पीया था। यह विष इतना भयानक था कि भगवान शिव के शरीर से ताप निकलने लगा इस ताप को शांत करने के लिए देवताओं ने गंगाजल भगवान शिव पर अर्पित किया। जिससे महादेव से शरीर से निकली तपन शांत हो गई। इसी कारण श्रावण में गंगा जल शिव को अर्पित किया जाता है। जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान भी भक्त कई किलोमीटर तक पैदल चलकर गंगा का जल लेते हैं और शिवालयों में अर्पित करते हैं। यह यात्रा बहुत मुश्किल होती है और इस यात्रा के नियम भी बहुत कठिन होते हैं। इस पूरी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है और जल लाने वाले भक्तों को कांवड़िया कहा जाता है। यह यात्रा श्रावण माह के साथ ही आरंभ होती है और पूरे भारत से कांवड़िये इस यात्रा के लिए निकलते है।
सावन के सोमवार
सावन के सोमवार का भी बहुत महत्व होता है। इस महीने में आने वाले सोमवार को व्रत रखा जाता हैं। महादेव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। सावन में प्रकृति भी खुशनुमा होती है। चारों और हरियाली होती है। इस समय जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन आता है। यह महीना भक्ति, सेवा और त्याग का प्रतीक माना जाता है। सावन में भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की भारी संख्या में भीड़ होती है।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।