Publish Date: 02 May, 2025
Author: Anjum Qureshi
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World Press Freedom Day 2025: 3 मई को पूरी दुनिया में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस हर साल मनाया जाता है। पहली बार इस दिन 1994 में मनाया गया था और इस विषय पर चर्चा 1991 में हुई थी। यह दिन पत्रकारों और मीडिया के अधिकारों की रक्षा के लिए मनाया जाता है और उन पर होने वाले हमलों और दबावों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। प्रेस सत्ता और जनता के बीच की कड़ी होती है। यह दिन सिर्फ पत्रकारों या मीडिया के लिए नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए है जो सच को सुनना, समझना और बताना चाहते हैं। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025 की थीम “ए प्रेस फॉर द प्लैनेट” है। आइए पढ़ें विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर कोट्स और स्लोगन
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस कोट्स
स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र के स्तंभों में से एक है।
सभी की एकमात्र सुरक्षा स्वतंत्र प्रेस में है।
कोई भी जेल इतनी बड़ी नहीं है कि वह स्वतंत्र अभिव्यक्ति को रोक सके।
अगर कोई सच्चाई बोलने से डरता है, तो वह पत्रकार नहीं, प्रचारक है।
प्रेस की स्वतंत्रता केवल लोकतंत्र के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, यह लोकतंत्र है।
जहाँ प्रेस स्वतंत्र होती है, वहाँ जनता जागरूक होती है।
प्रेस की स्वतंत्रता एक अनमोल विशेषाधिकार है जिसे कोई भी देश त्याग नहीं सकता।
हमारी स्वतंत्रता प्रेस की स्वतंत्रता पर निर्भर करती है, और इसे खोए बिना सीमित नहीं किया जा सकता।
प्रेस की स्वतंत्रता, यदि इसका कोई अर्थ है, तो इसका अर्थ है आलोचना करने और विरोध करने की स्वतंत्रता।
पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है – इसे झुकाया नहीं जा सकता, दबाया नहीं जा सकता
प्रेस की स्वतंत्रता वह गारा है जो लोकतंत्र की ईंटों को एक साथ बांधती है - और यह उन ईंटों में अंतर्निहित खुली खिड़की भी है।
जो कोई भी किसी राष्ट्र की स्वतंत्रता को उखाड़ फेंकना चाहता है, उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने से शुरुआत करनी चाहिए।
हमें स्वतंत्र प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना होगा- क्योंकि, अंत में, झूठ और गलत सूचना सत्य से कोई मुकाबला नहीं कर सकती।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमें दूसरों को अपमानित करने का अधिकार देती है, जबकि विचार की स्वतंत्रता उन्हें यह चुनने का अधिकार देती है कि वे अपमानित हों या नहीं।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस स्लोगन
जहाँ कलम आज़ाद नहीं, वहाँ लोकतंत्र अधूरा है।
प्रेस की आजादी, समाज की सच्चाई का आईना है।
पत्रकारिता का चौथा स्तंभ होना कोई विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी है।
जब पत्रकार खतरे में होते हैं, तब सच्चाई क़ैद में होती है।
पत्रकारिता न बिके, न झुके – यही असली आज़ादी है।