Publish Date: 08 Feb, 2025
Author: Anjum Qureshi
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World Pulses Day 2025: हर साल 10 फरवरी को विश्व दाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों को दालों के पोषण संबंधी लाभ, उनके कृषि महत्व और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में उनकी भूमिका के बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने दालों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, थीम और महत्व।
विश्व दाल दिवस का इतिहास
विश्व दाल दिवस मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2018 में की गई थी। साल 202 हर साल 10 फरवरी को ष्विश्व दाल दिवसष् के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने स्वीकार कर लिया। पहला विश्व दलहन दिवस 10 फरवरी 2019 को मनाया गया। यह महत्वपूर्ण खाद्य दिवस संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के 2030 एजेंडे से जुड़ा हुआ है। विश्व दाल दिवस सिर्फ एक दिवस नहीं, बल्कि एक जागरूकता अभियान है जो दालों के पोषण, कृषि और आर्थिक महत्व को उजागर करता है।
विश्व दाल दिवस 2025 की थीम
हर साल विश्व दाल दिवस के लिए एक विशेष थीम रखी जाती है, जो इस दिवस के महत्व और उद्देश्यों को उजागर करती है। विश्व दाल दिवस 2025 की थीम ‘दालेंः कृषि खाद्य प्रणालियों में विविधता लाना’। यह थीम पोषण, कृषि स्थिरता और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी होती है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि दालें न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण और किसानों के लिए भी फायदेमंद हैं। हमें अपने आहार में दालों को शामिल करना चाहिए और इस दिवस के माध्यम से दूसरों को भी इसके लाभों के बारे में जागरूक करना चाहिए।
विश्व दाल दिवस का महत्व और उद्देश्य
विश्व दाल दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है। दालें पोषक तत्वों प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन का अच्छा स्रोत हैं। वे शाकाहारियों और शाकाहारी भोजन अपनाने वालों के लिए बेहतरीन प्रोटीन विकल्प प्रदान करती हैं। दालें गरीब और विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में सहायक होती हैं। दालें कम लागत में पोषण प्रदान करती हैं। दालें स्वास्थ्य के लिए वरदान हैं इसके नियमित सेवन से हृदय रोग, मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों का जोखिम को कम होता है। खेती से किसानों को आर्थिक लाभ होता है क्योंकि ये कम संसाधनों में भी अच्छी उपज देती हैं। दालों की खेती के दौरान कम पानी की जरूरत होती है और यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मदद करती हैं। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी सहायक होती हैं।