Publish Date: 16 Jun, 2025
Author: Anjum Qureshi
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Yogini Ekadashi 2025 : योगिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से व्रत रखने और पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितृ दोष, गृह क्लेश और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जो लोग लंबे समय से बीमार हैं शारीरिक या मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं उनके लिए व्रत काफी अहम माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन करने के समान फल प्राप्त होता है। यह व्रत आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस साल योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून 2025 को रखा जाएगा। आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें पूजा, मंत्र और आरती।
योगिनी एकादशी पूजा विधि
- योगिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें।
- सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद घर और मंदिर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
- एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं।
- इस पर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद प्रभु को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- इसके बाद फल और पीली मिठाई का भोग लगाएं।
- भगवान को फूल अर्पित करें।
- योगिनी एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
- अंत में विष्णु जी की आरती करें।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय...
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय...
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय...
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय...
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय...
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ॐ जय...
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय...
योगिनी एकादशी मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ विष्णवे नमः
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः
ओम नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्
श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवाय नम:
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।